क्या है ‘वन नेशन वन गैस ग्रिड’ योजना जिसके जरिये देश के कोने-कोने तक LPG-PNG पहुंचाएगी सरकार

‘वन नेशन, वन गैस ग्रिड’ के तहत कोच्‍चि-मंगलुरू प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का निर्माण किया गया है. लगभग 450 किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन का निर्माण गेल (इंडिया) लिमिटेड ने किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में ‘वन नेशन वन गैस ग्रिड’ का जिक्र किया. अन्य कई योजनाओं की तरह यह भी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है जिसके तहत देश के हर कोने तक गैस पहुंचाने की तैयारी है. इस योजना के माध्यम से देश के उन इलाकों में भी गैस पहुंचाई जा रही है या आगे पहुंचाई जाएगी, जहां सप्लाई को काफी कठिन माना जा रहा था. यहां गैस का अर्थ एलपीजी से लेकर पीएनजी और सीएनजी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के माध्‍यम से चार सौ पचास किलोमीटर लंबी कोच्‍चि-मंगलुरू प्राकृतिक गैस पाइपलाइन राष्‍ट्र को समर्पित की. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार की तैयारी वन नेशन वन गैस ग्रिड के जरिए ऐसी अर्थव्‍यवस्‍था बनाना है जो गैस आधारित हो. उन्‍होंने कहा कि कोच्‍चि-मेंगलुरू प्राकृतिक गैस पाइपलाइन इस दिशा में एक बड़ा कदम है. यह पाइपलाइन स्‍वच्‍छ ऊर्जा उपलब्‍ध कराएगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने देश के ऊर्जा उत्‍पादन में प्राकृतिक गैस की हिस्‍सेदारी छह प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्‍य रखा है.

हर घर एलपीजी पहुंचाने का लक्ष्य
वन नेशन वन गैस ग्रिड के जरिए ही केरल और कर्नाटक के बीच गैस पाइपलाइन बिछाई गई है. यह योजना दोनों राज्‍यों के कई शहरों में गैस वितरण प्रणाली और सीएनजी आधारित परिवहन प्रणाली का आधार बनेगी. इससे मंगलुरू रिफाइन‍री को स्‍वच्‍छ ऊर्जा मिल सकेगी जिससे प्रदूषण में कमी आएगी. पिछले साल आम चुनाव के बाद पेश हुए बजट में ‘वन नेशन, वन गैस ग्रिड’ योजना का ऐलान हुआ था. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस योजना की घोषणा की थी. इस योजना के अंतर्गत सरकार पूरे देश में गैसों पर एक समान टैरिफ लागू करना चाहती है. इसी के तहत केंद्र सरकार ने पूरे देश में साल 2022 तक हर घर में एलपीजी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.

कोच्‍चि-मंगलुरू प्राकृतिक गैस पाइपलाइन
‘वन नेशन, वन गैस ग्रिड’ के तहत कोच्‍चि-मंगलुरू प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का निर्माण किया गया है. लगभग 450 किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन का निर्माण गेल (इंडिया) लिमिटेड ने किया है और इसकी परिवहन क्षमता 12 मिलियन मीट्रिक मानक क्यूबिक मीटर प्रति दिन है. यह केरल के कोच्चि स्थित एलएनजी के टर्मिनल से गैस ले जाएगी. एर्नाकुलम, त्रिशूर, पलक्कड़, मलप्पुरम, कोझीकोड, कन्नूर और कासरगोड जिले होते हुए मंगलुरू तक प्राकृतिक गैस ले जाएगी. परियोजना की कुल लागत लगभग 3000 करोड़ रुपये है.

सबसे लंबी पाइपलाइन परियोजना
इस पाइपलाइन की तरह देश में और भी कई प्रोजेक्ट शुरू होने हैं. उसी में देश की सबसे बड़ी पाइपलाइन कांडला पोर्ट से गोरखपुर तक है. इस प्रोजेक्ट पर 10 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा. यह पूरा प्रोजेक्ट आईओसी और बीपीसीएल-एचपीसीएल का जॉइंट वेंचर है. आईओसी की 50 फीसद जबकि बीपीसीएल और एचपीसीएल की 25-25 फीसद हिस्सेदारी होगी. पाइपलाइन का निर्माण पूरा करने के लिए 36 महीने की डेडलाइन तय है. ‘वन नेशन, वन गैस ग्रिड’ योजना के तहत बिछाई जाने वाली पाइपलाइन से एलपीजी की सप्लाई होगी. इसी के साथ वाहनों के ईंधन के लिए सीएनजी की भी आपूर्ति होगी.

स्वच्छ ईंधन पर जोर
सरकार की योजना है कि ‘वन नेशन, वन गैस ग्रिड’ से देश के कोने-कोने में स्वच्छ ईंधन की उपलब्धता बढ़ाई जाए, जिससे लोगों की सेहत अच्छी हो और बीमारियों पर खर्च में कमी आए. शहरों में गैस आधारित व्यवस्था का विकास होगा जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. इसी योजना के तहत देश में फर्टिलाइजर बनाने का भी काम होगा.

इससे किसानों को सस्ती दर पर खाद मिलेंगे. ‘वन नेशन, वन गैस ग्रिड’ योजना से बिजली और केमिकल उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा. देश में बायोफ्यूल्स पर भी बड़े पैमाने पर काम हो रहा है. एथेनॉल के निर्माण पर गंभीरता से काम चल रहा है. अगले 10 साल में पेट्रोल में होने वाली एथेनॉल ब्लेंडिंग को 20 फीसद तक करने का लक्ष्य है. इलेक्ट्रिक मोबिलिटी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बड़ा महत्व दिया जा रहा है.

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